मोहब्बत की शुरुआत पुरानी यादें कॉलेज की शायरी | Old Memories College Shayari Part-2

मोहब्बत की शुरुआत


* कभी बहते हुए दरिया की रवानी समझ बैठा
कभी शायर की अधूरी जवानी समझ बैठा
सोचा था दिल से सुनेगा दर्द जमाना अब की बार
जमाना फिर से मेरे दर्द को कहानी समझ बैठा।

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* दिल की धड़कन धक-धक करके धीरे से झुक जाती हैं
बेचैनी हो या हो नीद सब एक पल में भाग जाती है
ऐसा लगता है यह दुनिया सिमट गई हो बाहों में
आंख मीच कर जब वो पगली सीने से लग जाती है।

पुरानी यादें कॉलेज की शायरी |Old memories college shayari part-1





* खयालों में वो सोचा था वही पैगाम आया है
मोहब्बत का वही लम्हा हमारे काम आया है
बसी थी जो तमन्ना दिल में पूरी हो गई मौला
किसी के रस भरे लव पर हमारा नाम आया है।





* दिलों में प्यार के फूलों का खिलना भी जरूर है
ज़ख्म कैसा भी हो हर ज़ख्म सिलना भी जरूरी है
बहुत रोका था इस दिल को मोहब्बत कर ही ली इसने
मोहब्बत कर ही ली है तो इसे मिलना भी जरूरी है।




धुंधला सा एक लम्हा था गुजरा हुआ जमाना था
जब एक लड़की शरमाई थी और एक लड़का दीवाना था।
धीरे-धीरे आंखों का जादू उस पर चलने लगा
मिले हुए कुछ दिन ही हुए और लड़का उस पर मरने लगा
जैसे किसी वीराने में कोई झील या दरिया बहता है
दिल में छुपी दिल की बातों पर आखिर कब तक काबू रहता है
एक दिन लड़के ने बस यूं ही मन का पिटारा खोल दिया
तुम मुझको अच्छी लगती हो लड़की से यह बोल दिया
शायद इस अफसाने को किसी और मोड़ पर जाना था
जब एक लड़की शरमाई थी और एक लड़का दीवाना था
धुंधला सा एक लम्हा था गुजरा हुआ जमाना था
जब एक लड़की शरमाई थी एक लड़का दीवाना था।
-BY DEEPAK





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