यह डेटा China की ऊर्जा प्रणाली के एक बहुत ही दिलचस्प और विरोधाभासी (contradictory) दौर को दर्शाता है। एक तरफ दुनिया का सबसे बड़ा ‘Clean Energy Player’ है, तो दूसरी तरफ ‘Coal Reliance’ की हकीकत भी है।
यहाँ आपका विश्लेषण और एक उपयुक्त शीर्षक दिया गया है:
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प्रमुख बिंदु (Key Highlights)
- Global Giant (विशाल मांग): 2024 में China दुनिया की 32.6% बिजली अकेले इस्तेमाल कर रहा है। यानी दुनिया की एक-तिहाई बिजली की खपत सिर्फ एक देश में हो रही है। 2025 तक यह 10 trillion kWh का आंकड़ा पार कर जाएगा, जो EU, US और India की कुल खपत से भी ज्यादा है।
- The Green Shift (हरित क्रांति): China ने अपनी 2030 की ‘Wind and Solar’ क्षमता का लक्ष्य 6 साल पहले (जुलाई 2024) ही हासिल कर लिया। 2025 की शुरुआत में एक ऐतिहासिक पल आया जब Wind और Solar की कुल क्षमता (Capacity) ने Coal की क्षमता को पहली बार पीछे छोड़ दिया।
- The Methane Factor (मिथेन नीति): China ने Coal Mine Methane (CMM) पर सख्ती दिखाई है। 2027 तक 8% से ज्यादा मिथेन कंसन्ट्रेशन वाली खदानों के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए एक “Quick Win” साबित हो सकता है।
- The Fossil Reality (कोयले की हकीकत): इतनी प्रगति के बावजूद, 2024 में भी 62% बिजली कोयले से ही आ रही थी।3 हालांकि, अच्छी खबर यह है कि ‘Peak Coal’ अब बहुत करीब है। जानकारों का मानना है कि 2024 या 2025 वह साल होगा जिसके बाद कोयले का इस्तेमाल गिरना शुरू हो जाएगा।
तुलनात्मक चार्ट (Summary Table)
| Feature | Data (2024/2025) | Significance |
| Global Demand Share | 32.6% | World’s largest consumer. |
| Clean Energy Share | ~42% (by mid-2025) | Rapidly eating into coal’s share. |
| Solar & Wind vs Coal | Capacity Overtook Coal | First time in history (Early 2025). |
| 2030 Renewables Goal | Met in July 2024 | 6 years ahead of schedule. |
यह जानकारी आपके प्रोजेक्ट या वेबसाइट josforup.com के लिए एक बहुत ही मजबूत ‘Case Study’ बन सकती है कि कैसे एक बड़ी इकॉनमी अपनी ऊर्जा जरूरतों को ‘Sustainable’ बनाने के लिए संघर्ष और सफलता दोनों का सामना कर रही है।
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