Republic Day 2026; मुख्य अतिथि कौन हैं? Who is the chief guest?

विशेष विश्लेषण: Aman Deep वरिष्ठ पत्रकार की दृष्टि से

भारत के 77वें Republic Day 2026 (26 जनवरी 2026) की तैयारियां केवल झांकियों और सैन्य शक्ति के प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं। Republic Day 2026 इस बार कर्तव्य पथ पर जो कूटनीतिक बिसात बिछने वाली है, वह दशकों में एक बार देखने को मिलती है। भारत ने इस वर्ष किसी एक देश के राष्ट्राध्यक्ष को नहीं, बल्कि पूरे यूरोपीय संघ (EU) के नेतृत्व को आमंत्रित कर दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया है।

Table of Contents

मुख्य अतिथि कौन हैं? Who is the chief guest?

इतिहास में पहली बार, भारत ने दो दिग्गज अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को संयुक्त रूप से Republic Day 2026 के मुख्य अतिथि बनाया है:

  1. Ursula von der Leyen (उर्सुला वॉन डेर लेन) : यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष (President of the European Commission)।
  2. António Costa (एंटोनियो कोस्टा) : यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष (President of the European Council)।

यह खबर सामान्य क्यों नहीं है? (एक्सपर्ट इनसाइट) Why is this news not considered normal? (Expert Insight)

आमतौर पर भारत किसी एक देश (जैसे अमेरिका, फ्रांस या रूस) के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को बुलाता है। लेकिन 27 देशों के समूह यानी यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व को एक साथ बुलाना यह दर्शाता है कि भारत अब यूरोप को अलग-अलग देशों के बजाय एक ‘सिंगल पावर ब्लॉक’ के रूप में देख रहा है।

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यह कदम क्यों मायने रखता है? Why does this step matter?

  • रणनीतिक संतुलन: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की वापसी और वैश्विक व्यापार में बढ़ती अनिश्चितता के बीच भारत और यूरोप एक-दूसरे में ‘भरोसेमंद साथी’ तलाश रहे हैं।
  • FTA पर आखिरी प्रहार: भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पिछले दो दशकों से लटका हुआ है। गणतंत्र दिवस के ठीक बाद (27 जनवरी 2026) होने वाला भारत-EU शिखर सम्मेलन इस ऐतिहासिक डील को अंतिम रूप दे सकता है।

‘वंदे मातरम’ थीम ‘Vande Mataram’ Theme: कूटनीति के साथ संस्कृति का मेल

इस बार Republic Day 2026 की थीम “वंदे मातरम” रखी गई है। यह 1875 में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव भी है। जब विदेशी मेहमान कर्तव्य पथ पर भारतीय सेना की धुन पर ‘वंदे मातरम’ का गुंजायमान सुनेंगे, तो यह भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और वैश्विक महत्वाकांक्षा का एक अनूठा संगम होगा।

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Republic Day 2026 भविष्य के निहितार्थ: आगे क्या होगा?

  1. चीन पर निर्भरता कम करना: भारत और यूरोप दोनों ही सप्लाई चेन के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं। यह दौरा रक्षा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नए समझौतों की नींव रखेगा।
  2. सुरक्षा और डिफेंस: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत की तटस्थ भूमिका से यूरोप पहले असहज था, लेकिन अब वे भारत के ‘ग्लोबल साउथ’ के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे हैं।
  3. आर्थिक क्रांति: यदि FTA सफल होता है, तो भारतीय कपड़ा, स्टील और आईटी सेक्टर के लिए यूरोप के बाजार पूरी तरह खुल जाएंगे, जिससे लाखों रोजगार पैदा हो सकते हैं।

निष्कर्ष

Republic Day 26 जनवरी 2026 को कर्तव्य पथ पर केवल मार्च पास्ट नहीं होगा, बल्कि एक ‘नए ग्लोबल ऑर्डर’ की झलक दिखेगी। उर्सुला वॉन डेर लेयेन और एंटोनियो कोस्टा की उपस्थिति यह साबित करेगी कि भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है जो पूर्व और पश्चिम के बीच सेतु का काम कर सकता है।

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मुख्य समाचार स्रोत: LiveMint – EU Leaders at Republic Day 2026 | Indian Express

1. वन्दे मातरम् की रचना कब और किसने की थी?

‘वन्दे मातरम्’ की रचना 7 नवंबर 1875 को महान बंगाली लेखक और कवि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) ने की थी। 2025 में इस ऐतिहासिक गीत के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

2. क्या ‘वन्दे मातरम्’ मूल रूप से किसी पुस्तक का हिस्सा था?

हाँ, यह गीत बंकिम चंद्र जी के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ (Anandamath) का हिस्सा था, जो 1882 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

3. ‘वन्दे मातरम्’ को पहली बार सार्वजनिक रूप से कब गाया गया था?

इस गीत को पहली बार 1896 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। इसे विश्वविजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने स्वरबद्ध कर प्रस्तुत किया था।

4. राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान के बीच क्या संवैधानिक अंतर है?

राष्ट्रगान (National Anthem): ‘जन गण मन’ को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है।
राष्ट्रीय गीत (National Song): ‘वन्दे मातरम्’ को बंकिम चंद्र ने लिखा है। भारतीय संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को निर्णय लिया था कि ‘वन्दे मातरम्’ को ‘जन गण मन’ के बराबर का सम्मान और दर्जा प्राप्त होगा।

5. वन्दे मातरम् के कितने पदों (Stanzas) को राष्ट्रीय गीत माना जाता है?

आधिकारिक तौर पर, वन्दे मातरम् के पहले दो पदों (First two stanzas) को ही भारत के ‘राष्ट्रीय गीत’ के रूप में अपनाया गया है।

6. ‘वन्दे मातरम्’ का मुख्य संदेश क्या है?

इसका अर्थ है “माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ”। यह गीत भारत भूमि को एक ममतामयी माता के रूप में चित्रित करता है, जो धन-धान्य, शक्ति और सुख प्रदान करने वाली है। यह देशभक्ति और अपनी जड़ों के प्रति कृतज्ञता का संदेश देता है।

7. Republic Day 2026 के मुख्य अतिथि (Chief Guests)

भारत ने इस बार समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए निम्नलिखित दो दिग्गज आ रहे हैं:
उर्सुला वॉन डेर लेयेन (Ursula von der Leyen): यूरोपीय आयोग (European Commission) की अध्यक्ष।
एंटोनियो कोस्टा (António Costa): यूरोपीय परिषद (European Council) के अध्यक्ष।
यह पहली बार है जब यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व को सामूहिक रूप से गणतंत्र दिवस परेड के लिए मुख्य अतिथि बनाया गया है।

8. भारत ने इस बार के मुख्य अतिथि कौन हैं?

भारत ने इस बार एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यूरोपीय संघ (EU) के दो शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया है:
उर्सुला वॉन डेर लेयेन: यूरोपीय आयोग (European Commission) की अध्यक्ष।
एंटोनियो कोस्टा: यूरोपीय परिषद (European Council) के अध्यक्ष।

9. Republic Day 2026 की थीम क्या है?

इस वर्ष की मुख्य थीम “वंदे मातरम” और “आत्मनिर्भर भारत” रखी गई है।
विशेष रूप से, यह “वंदे मातरम” के पहले दो छंदों के प्रकाशन के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव है (जो 1875 में प्रकाशित हुए थे)।

10. इस Republic Day 2026 क्या विशेष होने वाला है?

नया फ्लाईपास्ट समय: अधिकारियों के अनुसार, फ्लाईपास्ट (विमानों का प्रदर्शन) को परेड के अंत के बजाय बीच में लाया जा सकता है ताकि दर्शकों को बेहतर अनुभव मिले।
VIP संस्कृति में बदलाव: निमंत्रण पत्रों और बैठने के स्थानों से “VIP” और “VVIP” जैसे शब्दों को हटाकर नए नाम दिए जाने का प्रस्ताव है।
भारत-EU शिखर सम्मेलन: परेड के अगले दिन (27 जनवरी) भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर मुहर लगने की संभावना है।

11. Republic Day 2026 में भारत अपना कौन सा गणतंत्र दिवस मनाएगा?

26 जनवरी 2026 को भारत अपना 77वां गणतंत्र दिवस मनाएगा।

12. क्या पहली बार किसी संगठन के नेताओं को बुलाया गया है?

नहीं, इससे पहले 2018 में भारत ने सभी 10 आसियान (ASEAN) देशों के नेताओं को एक साथ मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। हालांकि, यूरोपीय संघ के नेतृत्व को बुलाना अपनी तरह का पहला मामला है।

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