अलाउद्दीन खिलजी | Alauddin Khilji Biography in Hindi

भारत के मध्यकालीन इतिहास (Medieval Indian History) में दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate) का नाम हमेशा याद किया जाता है। इस सल्तनत का सबसे शक्तिशाली शासक था अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji)(1296–1316 AD)। वह खिलजी वंश का दूसरा सुल्तान था और अपनी मजबूत सेना (Strong Army), प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms) और विजय अभियानों (Conquests) के लिए प्रसिद्ध हुआ।

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने न सिर्फ़ उत्तर भारत में बल्कि दक्षिण भारत तक अपनी सत्ता का विस्तार किया।

प्रारंभिक जीवन

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का जन्म लगभग 1266 ईस्वी में हुआ था। उसका वास्तविक नाम अली गुरशास्प था। वह जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा और दामाद था, जिसने खिलजी वंश की स्थापना की थी। बचपन से ही अलाउद्दीन युद्धकला और राजनीति में रुचि रखने लगा।

वह शुरू में “अमीरे तुर्कान” की उपाधि से जाना जाता था और धीरे-धीरे दरबार में अपनी अलग पहचान बनाने लगा।

सत्ता में आगमन

1296 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने अपने चाचा और ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करके दिल्ली की गद्दी पर कब्जा कर लिया। सत्ता हासिल करने के बाद उसने विरोधियों को खत्म किया और अपने शासन को सशक्त बनाया। यह कदम उसे कठोर और निर्दयी शासक के रूप में स्थापित करता है।

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का शासनकाल (1296–1316 ई.)

  1. सैन्य सुधार
  • उसने सबसे पहले अपनी सेना को मजबूत किया।
  • सैनिकों को सीधे वेतन देना शुरू किया और बिचौलियों को खत्म किया।
  • “दाग़ और हुलिया प्रणाली” लागू की, जिसमें सैनिकों का पूरा विवरण और घोड़ों पर निशान दर्ज किया जाता था।

इन सुधारों ने उसकी सेना को अनुशासित और भरोसेमंद बना दिया।

  1. आर्थिक और बाजार सुधार
  • अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने प्रशासनिक और आर्थिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया।
  • उसने बाजारों पर सख्त नियंत्रण लगाया।
  • अनाज, कपड़ा, घोड़े, दास और दैनिक वस्तुओं के दाम तय कर दिए।
  • व्यापारियों और साहूकारों को अधिक मुनाफ़ा कमाने से रोका।
  • उसके शासन में महंगाई पर नियंत्रण रहा और आम जनता को राहत मिली।
  1. विजय अभियान
  • अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा अपने साम्राज्य का विस्तार करना था।
  • गुजरात, मालवा, रणथंभौर और चित्तौड़गढ़ पर विजय प्राप्त की।
  • 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण सबसे प्रसिद्ध है, जिसे रानी पद्मिनी और जौहर कथा से जोड़ा जाता है।
  • उसका सेनापति मालिक काफूर दक्षिण भारत तक गया और वारंगल, होयसला व मदुरै को जीतकर दिल्ली सल्तनत की सीमा दक्कन तक पहुँचा दी।
  1. प्रशासनिक नीतियाँ
  • शराब और नशीली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया।
  • अमीरों और कुलीनों की शक्ति को कमजोर किया।
  • विद्रोहों को दबाने के लिए कड़े कानून बनाए।
  • उसने अपनी गुप्तचर प्रणाली को बहुत मज़बूत बनाया।

व्यक्तित्व और विशेषताएँ

  • अलाउद्दीन खिलजी महत्वाकांक्षी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाला और कठोर शासक था।
  • वह विलासिता से दूर रहता था और सख्त अनुशासन पसंद करता था।
  • उसका उद्देश्य एक विशाल और मज़बूत साम्राज्य की स्थापना करना था।
  • उसकी नीतियों से दिल्ली सल्तनत भारत की सबसे शक्तिशाली ताकत बन गई।

मृत्यु

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) की मृत्यु जनवरी 1316 ई. में हुई। उसकी मौत के बाद दरबार में सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। उसका सेनापति मालिक काफूर कुछ समय के लिए सत्ता पर हावी हुआ, लेकिन खिलजी वंश धीरे-धीरे कमजोर होता गया।

उपलब्धियाँ

  • दिल्ली सल्तनत को सर्वोच्च शक्ति बनाया।
  • उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक साम्राज्य का विस्तार किया।
  • आर्थिक और प्रशासनिक सुधार लागू किए, जिनसे जनता को राहत मिली।
  • कठोर किंतु प्रभावी शासन प्रणाली स्थापित की।

निष्कर्ष

अलाउद्दीन खिलजी भारतीय इतिहास का एक ऐसा शासक था जिसने दिल्ली सल्तनत को उसकी सबसे बड़ी ऊँचाई पर पहुँचाया। उसके सैन्य अभियान, प्रशासनिक सुधार और कठोर नीतियाँ लंबे समय तक याद की जाती रहीं। हालांकि उसे क्रूर और कठोर शासक माना जाता है, लेकिन यह भी सच है कि उसकी नीतियों ने सल्तनत को मज़बूती दी और भारत के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी।

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